जिले के भूजल की हालत चिंताजनक : जिले में भूजल का अति दोहन, 80 प्रतिशत स्त्रोत सूखने की कगार पर -नदियों के संरक्षण सहित तमाम योजनाएं कागजों में सिमटी

भूजल स्तर में गिरावट रही जारी तो 20 साल में नहीं मिलेगा एक बूंद भी पानी

Apr 12, 2024 - 16:08
Apr 12, 2024 - 16:12
 0
जिले के भूजल की हालत चिंताजनक :  जिले में भूजल का अति दोहन, 80 प्रतिशत  स्त्रोत सूखने की कगार पर -नदियों के संरक्षण सहित तमाम योजनाएं कागजों में सिमटी

रतलाम (प्रकाशभारत ) गर्मी के शुरू होते ही क्षेत्र में पेयजल के साथ-साथ पशुओं को पिलाने के पानी का भी संकट शुरू हो गया है। अधिकतर गांवों में तालाब गर्मी से शुरू होते ही सुख गए है। जिसके चलते ग्रामीणों को पेयजल के साथ-साथ पशुओं को पानी पिलाने के लिए भी दर-दर भटकने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

    कई गावों में तालाब या तो बिलकुल सूखे मैदानों की तरह नजर आ रहे है या फिर शीतल व स्वच्छ जल की अपेक्षा गंदगी से लबालब भरे हुए है। जिले के नागरिको के लिए मौजूदा स्थिति खतरे की घंटी बजा रही है, जहां पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, हर साल जल संरक्षण के नाम पर आ रहे करोड़ों रु. बंदरबांट में सिमट रहे हैं। नगरीय और ग्राम पंचायत निकायों में वॉटर रि-हार्वेस्टिंग सिस्टम कागजों में धूल फांक रहा है।

जिलें में दस नदिया लेकिन सभी सूखी

जिले में एक नहीं 10 नदियां हैं, यह विरासत किसी अन्य जिले में नहीं होगी। जिलें में चंबल, माही , शिप्रा, मलेनी, रोजड़, गंगायता, जामण, कुडै़ल (कुरैल), चामला, शिवना जैसी नदियां कभी बारहमास कलकल करती थी । मलेनी नदी को तो रेत माफिया निगल गए है नदी अस्तित्व के लिए जूझ रही हैं पर हम सचेत नहीं हैं। बीते हुए एक दशक में इन नदियों पर पानी रोकने की कई योजनाए बनी लेकिन एक भी मुर्त रूप नही ले सकी। करीब छह वर्ष पूर्व जलसंसाधन विभाग ने जिले की तीन नदियों चंबल, शिप्रा, एवं मलेनी नदी पर सीरीयल स्टॉपडेम बनाने की कार्ययोजना तैयार की थी , लेकिन शासन ने बजट के अभाव में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

400 मीटर नीचे चला गया पानी

वर्ष कृषि सांख्यकीय आंकड़ो के अनुसार जिले में खेती योग्य क्षेत्र फल करीब 325000 हेक्टेयर है, जिसमें 145825 हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न संसाधनों के द्वारा सिंचाई होती है। सिंचित क्षेत्र कुल बोए गए क्षेत्र का लगभग 44,5 प्रतिशत है, इतना अधिक जल सिंचाई में जा रहा है पर खेतों में जल भराव बंद होने से भू-जल लगातार नीचे खिसकता जा रहा है। अब कई क्षेत्रों में 120 से 500 मीटर तक भूजल है। पीएचई के आंकड़ों के अनुसार जिले में 10 हजार 187 हैंडपंप हैं। लगभग 50 हजार बोरवेल हैं, जिनसे कई गेलन पानी प्रति घंटे उलीचा जा रहा है। भूजल क्षमता का आंकलन: ग्राउन्ड वॉटर एस्टीमेशन कमेटी और केन्द्रीय भूजल परिषद की रपट के अनुसार जिले में भूजल का पुर्नभरण 129056.41 मी. क्यूसेक मीटर है पर अब शेष जल की मात्रा 27966.15 मीटर है। लगातार भूजल के दोहन से स्थिति साल-दर-साल दयनीय, दुर्दशाग्रस्त हो रही है।

  तेजी से गिर रहा है जलस्तर

जिलें में भू-जल को बचाने का सिस्टम वॉटर रि-हार्वेस्टिंग प्लान ठप पड़ा है, ऐंसे में पानी के हालत बद्तर हो रहे हैं।बारिश कम होने व भूमिगत जल के लगातार दोहन से जलस्तर तेजी से घटा है। इसके चलते जिले में ढाई हजार हैंडपंप मार्च माह में ही बंद हो गए जबकि जिले का औसत जलस्तर भी गत वर्ष की तुलना में 1.55 मीटर ज्यादा नीचे चला गया। रतलाम विकासखंड में भूमिगत जल का स्तर सबसे ज्यादा नीचे गिरा है। ऐसे में शहरवासियों को आने वाले समय में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। औसतन मार्च माह में गत वर्ष जहां 7.23 मीटर का जलस्तर था जो कि इस बार 8.78 मीटर है। गर्मी के साथ ही शहर व जिले में जलस्तर घटने से जलस्त्रोत सूखने लगे हैं। ग्रामीण अंचलों में जहां दूर दराज क्षेत्रों से पानी लाने के हालात बनने लगे हैं ।

पिपलोदा मे स्थिति भयावह

केन्दीय भूजल बोर्ड के अनुसार जिले के पिपलोदा विकासखंड की स्थिति सबसे भयावह है । पिपलोदा देश की 14 खतरनाक अतिदोहित क्षेणी की तहसिलों में शामिल है। जावरा ,आलोट,रतलाम भी अतिदोहित श्रेणी की तहसिलों में शामिल है। जबकि सैलाना सेमी अतिदोहित तथा बाजना सामान्य श्रेणाी में शामिल है। पिपलोदा तहसिल में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए केन्द्र सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट लागू किया था,लेकिन वहां भी कागजो में सर्वे के अलावा कोई काम भौतिक स्तर पर दिखाई नही दे रहा है। केन्दीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले कुछ वर्षो में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता शून्य हो जाएगी।

पेयजल परिरक्षण अधिनियम के समस्त उपबंध जिले में लागू

  कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी राजेश बाथम द्वारा ग्रीष्म ऋतु में पर्याप्त मात्रा में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत पेयजल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करके मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 संशोधन 2002 एवं संशोधन 2022 के अंतर्गत अधिनियम के समस्त उपबंध जिले के सभी विकास खंडो में लागू किए गए हैं। जारी आदेश के अनुसार रतलाम जिले के अतिदोहित विकासखंड आलोट, जावरा, पिपलोदा, रतलाम में पूर्व से लागू आदेश को यथावत रखते हुए आगामी आदेश तक तथा विकासखंड सैलाना तथा बाजना को आगामी 30 जून या पर्याप्त वर्षा होने तक पेयजल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करते हुए अधिनियम के उपबंध लागू किए गए हैं। अत: अतिदोहित विकासखंड आलोट, जावरा, पिपलोदा, रतलाम, सैलाना तथा बाजना में जल स्रोत जैसे नदी, बांध, नहर, जलधारा, झरना, झील, सोता, जलाशय, बंधान या कुओं से सिंचाई, औद्योगिक उपयोग तथा अन्य प्रयोजन के लिए किन्ही साधनों द्वारा जल लेना प्रतिबंधित किया गया है

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Sujeet Upadhyay Sujeet Upadhyay is a senior journalist who have been working for around Three decades now. He has worked in More than half dozen recognized and celebrated News Papers in Madhya Pradesh. His Father Late shri Prakash Upadhyay was one of the pioneer's in the field of journalism especially in Malwanchal and MP.