सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग में जमीनों के आवंटन में हुआ खेल, अपने खास लोगों को कोड़ियों के भाव जमीनें हुई आवंटित, सीएम ने लिया एक्शन
लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग में जमीनों के आवंटन के अलग ही खेल हुआ जिसमें कोड़ियों के भाव में अपने खास लोगों को जमीनें आवंटित हो गईं

सुजीत उपाध्याय _Prakashbharat
रतलाम। प्रदेश के सबसे अमीर और वेतन भत्ते ना लेने वाले मंत्री के विभाग में जमीनों को लेकर खेला हो गया। मामले में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद जमीनों का आवंटन निरस्त हुआ।
इस मामले को लेकर इंदौर एवं भोपाल में अलग तरह की चर्चाओ ने जोर पकड़ लिया हैं। पूरा मामला उद्योगो की जमीनो को औने पौने दाम में आवंटन का हैं। प्रदेश के चर्चित न्यूज पोर्टल ‘‘द सुत्र’’ ने इस मामले में दस्तावेजों के साथ एक विस्तृत खबर प्रकाशित की है।
द सुत्र की माने तो इस मामले में बड़ा घोटाला सामने आया हैं।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने साल 2025 को उद्योग वर्ष घोषित किया है जिसमें निवेश बढ़ाने के लिए सीएम खुद पूरे देश में घूम रहे हैं। लेकिन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग में जमीनों के आवंटन के अलग ही खेल हुआ जिसमें कोड़ियों के भाव में अपने खास लोगों को जमीनें आवंटित हो गईं। सीएम को इसकी भनक लगी तो आनन-फानन में ये आवंटन निरस्त भी कर दिए गए हैं।
इस मामले पर नजर तब गई जब दक्षिण भारत से आए कुछ निवेशकों ने नियमों का खुला मजाक उड़ाने वाली गतिविधियों पर सीएम समेत बड़े नेताओं का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद आनन-फानन में आवंटन निरस्त किए गए। विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि प्रदेश का सबसे बड़ा और तरक्की में सबसे आगे शहर इंदौर, इस खेल में भी पहली पसंद है। यहां जमीनों की कीमतें भी पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा है। विभाग में बड़े और पुराने आईएएस अफसरों के साथ वर्षों से जमे हुए महारथी कर्मचारी भी हैं। विभाग के मंत्री चैतन्य काश्यप भी प्रदेश के सबसे चर्चित मंत्रियों में हैं। ऐसे में खेला किस स्तर पर, किसकी चूंक और किसकी शह से हुआ सभी को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
तकनीक की मदद से हुआ खेल
दरअसल जमीन आवंटन के लिए सर्वर पर आवेदन होने थे। कहा गया था कि आवेदन के लिए 24 घंटे का समय दिया जाएगा जिसमें कभी भी बोली लगाकर आवेदन किया जा सकेगा। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटन होता है। समयसीमा में सिंगल बोली होने पर भी सीधे आवंटन हो जाता है। कब तक बोली लगाई जा सकती है इसका भी समयावधि लिखी होती है। सूत्र बताते हैं कि यहां खेल करने के लिए अपने खास लोगों से आवेदन करवाते ही सर्वट हैंग कर दिया जाता था। इससे अन्य किसी व्यक्ति को या तो मौका ही नहीं मिला या पहले आयो के आधार पर आवंटन खास लोगों को हो गए।
एमएसएमई विभाग में 3 मिनट में करोड़ों के खेल
खेला की बानगी 16 जुलाई को एमएसएमई विभाग में देखने को मिली थी। इंदौर जिले की सांवेर तहसील के राजोदा गांव की 9.46 एकड़ अविकसित जमीन का आवंटन होना था। इस जमीन की बाजार में कीमत करीब 40 करोड़ रुपए बताई जाती है। सुबह 10 बजे बुकिंग शुरू होते ही 3 लोगों ने तीन मिनट के अंदर आवेदन कर दिए। आवेदन कर्ताओं में एक विभाग का सीए के रिश्तेदार थे। 10 बजकर 6 मिनट से सर्वर बंद हो गया। अन्य किसी को आवेदन करने का मौका तक नहीं मिला। बुकिंग के आधार पर 88 लाख रुपए में जमीन आवंटित हो गई।
1-1 बुकिंग होते ही बंद हो गया सर्वर
इसके अलावा विभाग ने 16 जुलाई को ही राउ रंगवासा की 2.37 एकड़ जमीन के आवंटन के लिए प्रक्रिया शुरू की। इसकी कीमत बाजार में करीब 21 करोड़ है। एक ही बोली लगते सर्वर बंद हो गया और बोली लगाने वाले को जमीन 1.81 करोड़ में दे दी गई। 16 जुलाई को ही सांवेर गांव में सात एकड़ अन्य जमीन की बुकिंग हुई। इसकी कीमत करीब 30 करोड़ थी। यहां भी एक ही बुकिंग होते सर्वर बंद हो गया। मात्र 75 लाख रूपए में जमीन आवंटित हो गई।
विज्ञप्ति के नियमों का बना मजाक
विभाग के नियमों के अनुसार आवंटन के लिए समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशन के दस दिन बाद और माह की 21 तारीख से ई बोली लगाई जाती है। ई-आवेदन के लिए कम से कम 24 घंटे सर्वर चालू रखने का भी नियम था, लेकिन उसे भी धता बताई गई। इंदौर के रंगवासा की 2.37 एकड़ जमीन की ई नीलामी का विज्ञापन इंदौर के समाचार पत्र में 15 जुलाई को प्रकाशित हुआ। लेकिन अगले ही दिन 16 जुलाई की सुबह 6 बजे बोली लगना शुरू हो गई। आम आवेदकों को दस्तावेज, चेक, राशि की तैयारी के लिए भी वक्त नहीं दिया गया। बोली तत्काल बंद भी हो गई। सांवेर की जमीनों की बोली भी 16 जुलाई को ही हो गई।इस मामले में प्रकाश भारत डॉट कॉम ने मंत्री श्री चैतन्य काश्यप का भी पक्ष जानने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली
सीएम डॉ. मोहन यादव का सख्त एक्शन
मप्र सरकार के मंत्री चैतन्य काश्यप के मंत्रालय सूक्ष्म व मध्यम उद्योग विभाग (एमएसएमई) में जमीन आवंटन के नाम पर अधिकारियों द्वारा किए गए 90 करोड़ के खेल का खुलासा होने के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव का सख्त एक्शन सामने आया। सीएम ने विभाग के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाते हुए जांच करने के आदेश दे दिए। साथ ही तत्काल प्रभाव से जमीन आवंटन की प्रक्रिया निरस्त करने के लिए कहा। इस के बाद विभाग ने आदेश जारी करते हुए जुलाई माह में हुए मध्यम उद्योगों को हुए अविकसित जमीन आवंटन को निरस्त कर दिया है।
आयुक्त एमएसएमई नवनीत कोठारी की ओर से संयुक्त संचालक ने यह आदेश सभी जिलों के महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र को जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि विभागीय पोर्टल के माध्यम से अविकसित भूमि आवंटन हेतु प्राप्त आवेदनों को निरस्त करे ।
पत्र में आगे है की जिला व्यापार व उद्योग केंद्रों द्वारा जुलाई 2024 में विभागीय अविकसित भूमि आवंटन करने के लिए आवेदन प्राप्त किए गए है। विभागीय पोर्टल में तकनीकी समस्या होने के कारण आवेदन प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न नहीं हुई है। इसलिए सभी प्राप्त आवेदनों को तत्काल निरस्त किया जाए तथा आवेदकों द्वारा प्राप्त जमा राशि तत्काल वापस की जाए।
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