गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रॉपर्टी व्यवसायियों को मिला आश्वासन का लड्डू : समस्या निराकरण के लिए गए थे- मिल गई नसीहत
संपत्तियों के नामांतरण में 56-57 का रिकॉर्ड अनिवार्य कर देना था । यह आदेश करीब ढाई वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी द्वारा मौखिक रूप से दिया गया था । राजस्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अनुसार 56-57 के रिकॉर्ड की अनिवार्यता का कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है , यानि कि यह आदेश सिर्फ मौखिक रूप से चलायमान है । इसके बाद भी मंत्री जी द्वारा इस मसले को लेकर राजस्व मंत्री और राजस्व सचिव से चर्चा करने की बात करना वहाँ उपस्थित लोगों को आश्चर्यचकित कर गया

रतलाम (प्रकाशभारत न्यूज) रतलाम शहर के विधायक एवं प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री चैतन्य कश्यप से प्रॉपर्टी व्यवसाय की समस्या के निराकरण के लिए सैकड़ों की संख्या में मिलने गए प्रॉपर्टी व्यवसायी, ब्रोकर एवं कॉलोनाइजरों को एक बार फिर से निराशा हाथ लगी है । जब मंत्री जी ने उपस्थित व्यवसायियों,ब्रोकरों और कॉलोनाइज़रों को संपत्तियों के नामांतरण में 56-57 के रिकॉर्ड की अनिवार्यता को समाप्त करने की माँग पर यह कह दिया कि इस मामले को वे गंभीरता से लेंगे और उन्होंने इस मामले में राजस्व मंत्री और राजस्व सचिव से बात की है तो वहाँ उपस्थित लोगों के चेहरे उतर गए और अंत में आभार प्रदर्शन होता उससे पहले ही सभी सभा कक्ष से बाहर आ गए । क्योंकि इस समस्या का निराकरण स्थानीय प्रशासन स्तर पर ही संभव था ।
दरअसल पिछले लंबे समय से रतलाम का प्रॉपर्टी बाज़ार सुस्त पड़ा हुआ है जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण संपत्तियों के नामांतरण में 56-57 का रिकॉर्ड अनिवार्य कर देना था । यह आदेश करीब ढाई वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी द्वारा मौखिक रूप से दिया गया था । राजस्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अनुसार 56-57 के रिकॉर्ड की अनिवार्यता का कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है , यानि कि यह आदेश सिर्फ मौखिक रूप से चलायमान है । इसके बाद भी मंत्री जी द्वारा इस मसले को लेकर राजस्व मंत्री और राजस्व सचिव से चर्चा करने की बात करना वहाँ उपस्थित लोगों को आश्चर्यचकित कर गया । वहाँ उपस्थित प्रॉपर्टी व्यवसायी कानाफूसी करने लगे कि एक मौखिक आदेश जिसका कोई वजूद नहीं है उसके लिए भी कैबिनेट मंत्री को राजस्व मंत्री से बात करना पड़े तो यह समझ लेना चाहिए कि अफसर शाही कितनी हावी है ,सरकार का एक मंत्री भी उनके सामने असहाय नज़र आ रहा है ।
प्रॉपर्टी व्यवसायियों की दूसरी समस्या विभाजित भूखंडों के नामांतरण एवं बिल्डिंग परमिशन पर रोक हटाने वाले मसले पर भी मंत्री जी कुछ ख़ास दिलासा नहीं दे पाए क्योंकि इस समस्या के निराकरण की घोषणा नगर निगम चुनाव के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धनमंडी की सभा में कर गए थे लेकिन उनकी यह घोषणा सिर्फ घोषणा ही बनकर रह गई । कुल मिलाकर अति उत्साहित होकर बड़ी उम्मीद के साथ प्रॉपर्टी व्यवसायी मंत्री जी से मिलने गए थे लेकिन मंत्री जी का उद्बोधन सुनने के बाद वैध और साफ़ सुथरा काम करने की नसीहत लेकर अपने गंतव्य को लौट गए ।
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