विजयवर्गीय के स्वागत तो ठीक, पोस्टर तक से गायब रहे रतलाम के मंत्री - भाजपा में खुलकर सड़क तक आई गुटबाजी जानिये क्या है पूरा मामला
रतलाम विकास प्राधिकरण अध्यक्ष और इसके पूर्व नगर निगम के अध्यक्ष रहे अशोक पोरवाल ने अपने समर्थकों के साथ मंत्री का भव्य स्वागत किया।

रतलाम (prakashbharat)कांग्रेस के लगभग विलय में जुटी भाजपा के सामने अब अपने ही दल में खुलकर चल रही गुटबाजी से निपटना मुश्किल होता जा रहा है। प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के रतलाम दौरे में यह बात खुलकर सामने आ गई। इस पूरे दौरे में रतलाम के मंत्री और उनके समर्थकों की दूरी रही, वहीं विजयवर्गीय के करीबियों के पोस्टर से रतलाम विधायक का चेहरा गायब रहा।
किसी समय अनुशासन और एकता के लिए देशभर में प्रसिद्ध भारतीय जनता पार्टी अब अंतर्कलह और गुटबाजी के लिए भी जानी जाने लगी है। अल्प प्रवास पर मंगलवार दोपहर को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय रतलाम के सालाखेड़ी चौराहे पर स्थित होटल पर रुके। यहीं पर रतलाम विकास प्राधिकरण अध्यक्ष और इसके पूर्व नगर निगम के अध्यक्ष रहे अशोक पोरवाल ने अपने समर्थकों के साथ मंत्री का भव्य स्वागत किया। रतलाम में लगभग विरोधी गुट की भूमिका में आ चुके अन्य नेता भी वहां दिखाई दिए। भाजपा महेंद्र कोठारी, अशोक चौटाला, दिनेश पोरवाल, संगठन महामंत्री निर्मल कटारिया, अनीता कटारिया आदि नेता उनका स्वागत करने और मिलने पंहुचे। भाजपा के जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय भी पार्टी की ओर से उनका जिले में स्वागत करने पंहुचे।
उल्लेखनीय है कि आरडीए के पूर्व अध्यक्ष अशोक पोरवाल और शहर विधायक और मंत्री चैतन्य कश्यप के बीच मतभेदों की खबरें कोई दबीछुपी नहीं हैं। महापौर चुनाव के समय भी मतभेद खुलकर दिखे थे। बाद में कुछ वरिष्ठों की कोशिशों पर पैचअप हुआ लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले मामला फिर बदल गया। इसके बाद पोरवाल विधानसभा चुनाव में भी इंदौर में मंत्री विजयवर्गीय के चुनाव में ही व्यस्त रहे थे। शहर विधायक ने भी पोरवाल को कोई जिम्मेदारी नहीं दी थी।
पोस्टर पर केवल ग्रामीण विधायक
मंत्री विजयवर्गीय के स्वागत में सालाखेड़ी और आसपास कई पोस्टर भी लगाए गए थे। इनमें शहर विधायक का चेहरा और नाम दोनों ही गायब रहे। मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, लोकसभा प्रत्याशी के साथ ग्रामीण विधायक मथुरालाल डामर तक को स्थान मिला शहर के विधयाक को नहीं। इसके पहले जिला अध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय के पद्भार ग्रहण के कार्यक्रम में भी आपने उद्बोधन में पोरवाल ने विधायक को इशारों में आयना दिखाया था। गौरतलब है की लोकसभा के चुनाव के समय ऐसी अंतर्कलह हाल में भले ही खासा असर कम डाले, लेकिन आने वाले सालों में यह बड़ी मुश्किल साबित होगी।
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