त्रेता में एक अनपढ़ मंथरा के होने से 14 साल तक नहीं आ पाया राम राज्य – श्यामस्वरुप मनावत
प्रसिद्ध कथाकार व मानस मर्मज्ञ पंडित श्यामस्वरूप मनावत ने बताई राम राज्य की परिकल्पना

रतलाम@prakashbharat। स्वामी विवेकानंद व्याख्यानमाला समिति की ओर से दो दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। दूसरे दिन सज्जन प्रभा हाल में राम राज्य से विश्व कल्याण विषय पर व्याख्यानमाला आयोजित की गई। जिसमें मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कथाकार व मानस मर्मज्ञ पंडित श्यामस्वरूप मनावत रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी ओम अग्रवाल ने की। अतिथियों का स्वागत समिति के अध्यक्ष विम्पी छाबड़ा, सचिव डॉ. हितैष पाठक व अन्य ने किया। सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। मंच संचालन विनीता ओझा ने किया।
राम राज्य से विश्व कल्याण के विषय को संबोधित करते हुए श्यामस्वरूप मनावत ने बताया कि भगवान राम के पिता राजा दशरथ की प्रबल इच्छा थी राम राज्य आए। जब घोषणा हुई भगवान के राज्याभिषेक की तो पूरी अवध सजा दी गई। लेकिन मंथरा के होने से राजा दशरथ राम राज्य देखने से पहले संसार छोड़ कर चले गए। राम को जन्म देना सरल है, मगर राम राज्य लाना कठिन है। सभी के जीवन में आसपास मंथरा है, जिसे पहचान कर समाप्त करना बहुत जरूरी है। इनके होते हुए राम राज्य नहीं आएगा। जिस तरह अनपढ़ दासी मंथरा ने रानी केकई को भड़काया और राम को वनवास भेजा। उसी प्रकार आज भी हमारे परिवारों में विवाद का कारण बाहरी मंथराए बन रही है। तब त्रेतायुग में राम के वनवास का फैसला रानी केकई को बहला फूसला कर मंथरा ने लिया तो राम राज्य 14 साल नहीं आया, माता सीता का हरण हुआ, दशरथ ने राम वियोग में प्राण त्याग दिए। मंथरा बाहरी थी, उसकी बात मानने से सब कुछ बिखर गया। आज के दौर की भी यही व्यथा है। हम अपनो से ज्यादा गैरों पर विश्वास करने लगते हैं। और इसका फायदा उठाकर आज की मंथरा राम राज्य नहीं आने दे रही है। अपनों के फैसले जब गैरों से पता चलते हैं तो फासले बढ़ जाते हैं। वर्तमान दौर में हिंदू समाज के जातियों में बट जाने से हम राम राज्य की संकल्पना को साकार नहीं कर सकते। सत्ताधारियों के राजनीतिक फायदों के गुप्त समझोते राम राज्य के लिए अड़चन बने हुए है। संकल्पित होकर विश्व में राम राज्य लाना होगा। राम राज्य के लिए राम जैसे राजा और अयोध्या जैसी प्रजा होना चाहिए। संचालन श्रीमती वीणा छाजेड़ ने किया।
What's Your Reaction?






