बहुचर्चित तीहरे नृशंस हत्याकांड मामले में समस्त आरोपीयो को आजीवन कारावास एवं जुर्माना
घटना अनुसार देहाती नालिसी उसका दोस्त दुर्गेश, दौलत चावडा, आनन्द चावडा, धर्मेन्द्र उर्फ कालू अण्डा, राजीव नगर शमशान के सामने मंदिर के पास बैठकर सिगरेट पी रहे थे तभी अंकित उर्फ जटा, निवासी सज्जन मिल रोड़ रतलाम व राहुल ताई निवासी जवाहर नगर अपने दो साथियों के साथ दो मोटरसायकल पर बैठकर आए और उनके पास आकर गाली देते हुए बोले कि तुम यहां कैसे बैठे हो बड़े तीसमारखा बनते हो, आनन्द ने बोला कि गालियां क्यो दे रहे हो और गाली देने से मना किया तो राहुल ताई ने आनन्द को मारपीट करना शुरू कर दिया।

रतलाम (प्रकाशभारत)आठ साल पहले 2016 में जवाहर नगर शमशान के पास हुए बहुचर्चित तीहरे नृशंस हत्याकांड मामले में समस्त आरोपीयो को आजीवन कारावास एवं अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
न्यायालय श्रीमान (प्) अनन्य विशेष न्यायालय, अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम रतलाम (म.प्र.) के द्वारा रतलाम जिले का अतिसंवेदन, जघन्य एवं सनसनीखेज चिन्हित प्रकरण में निर्णय दिनांक 18.07.2024 को सभी 7 अभियुक्तगण 01. अंकित उर्फ जटा पिता राजेश सोलंकी, उम्र-27 वर्ष, निवासी-सज्जन मिल रोड़ पदम श्री के पास रतलाम 02. राहुल उर्फ ताई पिता रमेशचन्द्र, उम्र-29 वर्ष, निवासी-370 सी-जवाहर नगर जिला रतलाम (म0प्र0) 03. गोविंदा उर्फ नरेन्द्र पिता बहादुरसिंह, उम्र-34 वर्ष,, निवासी-जवाहर रतलाम तीनो आरोपीगण को धारा 302 (तीन शीर्ष में) सहपठित धारा 34 भा.दं.सं में प्रत्येक शीर्ष के लिये तथा धारा 120-ख भादवि में आजीवन कारावास एवं 5000-5000/- रूपये के अर्थदंड तथा धारा 323 सहपठित धारा 34 भा.दं.सं. में 6-6 माह कारावास तथा 1000-1000/- रूपये अर्थदण्ड
तथा अभियुक्तगण 4. मनोज उर्फ नेपाल पिता सत्यनारायण, उम्र-37 वर्ष, निवासी-144 काला पत्थर इंदौर रोड उज्जैन(म0प्र0) 05. कुलदीप पिता ओमप्रकाश, उम्र-36 वर्ष,, निवासी-बी-11, जवाहर नगर रतलाम (म0प्र0) को धारा 120-ख भादवि में आजीवन कारावास एवं 5000-5000/- रूपये के अर्थदंड तथा धारा 212 भादवि में 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2000-2000/- रूपयेे अर्थदण्ड
तथा अभियुक्तगण 06. सुमेरसिंह उर्फ नाना पिता लालसिंह, उम्र-29 वर्ष, जवाहर नगर रतलाम (म0प्र0) 07 अंकित राठौर पिता मनोहरलाल, उम्र-31 वर्ष, नि,जवाहर नगर जिला रतलाम (म0प्र0) को धारा 120-ख भादवि में आजीवन कारावास एवं 5000-5000/- रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।
अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी रतलाम श्री विजय पारस ने बताया कि दिनांक कि फरियादी धर्मेन्द्र द्वारा दिनांक 07.11.16 को रात्रि 10ः30 बजे सिविल अस्पताल रतलाम में इस आशय की देहाती नालिसी लेख करायी कि वह तथा उसका दोस्त दुर्गेश, दौलत चावडा, आनन्द चावडा, धर्मेन्द्र उर्फ कालू अण्डा, राजीव नगर शमशान के सामने मंदिर के पास बैठकर सिगरेट पी रहे थे तभी अंकित उर्फ जटा, निवासी सज्जन मिल रोड़ रतलाम व राहुल ताई निवासी जवाहर नगर अपने दो साथियों के साथ दो मोटरसायकल पर बैठकर आए और उनके पास आकर गाली देते हुए बोले कि तुम यहां कैसे बैठे हो बड़े तीसमारखा बनते हो, आनन्द ने बोला कि गालियां क्यो दे रहे हो और गाली देने से मना किया तो राहुल ताई ने आनन्द को मारपीट करना शुरू कर दिया। आनन्द को उसके अन्य साथी ने पकड़ लिया व अंकित उर्फ जटा चाकू लेकर आया व जान से मारने की नियत से ताबड़तोड़ चाकू से सिने और पेट पर वार किये तभी धर्मेश उर्फ धर्मेन्द्र बीच बचाव करने आया तो उसे भी दूसरे अन्य साथी ने पकड़ लिया और अंकित ने पेट व सिने में चाकू से वार किये। इसी बीच दौलत बीच बचाव करने आया तो राहुल ने दौलत को सिने, पेट, पैर में चाकू मारे। उसे व दुर्गेश को चारो मारने दौडे तो वह वहां से भागे तो उसे चारो ने पकड़कर मारपीट की, जिससे उसे सिर व नाक में चोट लगी। वह इनसे छूटकर भागा तो चारो अपनी मोटरसायकल लेकर चले गये। एक मोटरसायकल काली जिसका नंबर एम.पी. 43-1427. दूसरी बिना नंबर की मोटरसायकल थी। फिर तीनों को अस्पताल ले गये, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
फरियादी धर्मेन्द्र की उक्त देहाती नालिसी के आधार पर आरक्षी केन्द्र औद्योगिक क्षेत्र रतलाम में सभी 7 अभियुक्तगण के विरूद्ध अपराध कमांक-856/16, धारा 302, 307, 294, 120 बी, 212 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 3 (2) (अ) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया एवं विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
उल्लेखनीय है कि उक्त प्रकरण का आरोपी आरक्षक कुलदीप पिता ओमप्रकाश, द्वारा घटना के पश्चात अन्य आरोपीगण को महू नीमच मार्ग पर स्थित बिलपांक टोल नांका पर से एक सिल्वर रंग की मारूती एल्टो कार जिसका पंजीयन नंबर एमपी09सीडी5873 का कार का सीट कवर भी जप्त किया, को भी आवश्यक साक्ष्य के रूप में प्रमाणित करवाया इसके अतिरिक्त उक्त आरक्षक की मोबाईल डिटेल भी प्रकरण में साक्ष्य का आवश्यक विषय रही है। पुलिस की नेमप्लेट लगी हुई चार पहिया वाहन के माध्यम से आरोपीगण को ले जाया गया था और इस प्रकार आरोपी कुलदीप के उक्त सीसीटीवी फुटेज मे दर्शित होने के साक्ष्य को अभियोजन के द्वारा प्रमाणित करवाया गया है जो कि प्रकरण का महत्वपूर्ण साक्ष्य रही है।
माननीय विचारण न्यायालय में अभियोजन की ओर से कुल 33 साक्षियों को परीक्षित करवाया गया तथा घटना के समर्थन में मौखिक साक्ष्य एवं दस्तावेजी साक्ष्य एवं लिखित बहस प्रस्तुत कर आरोपीगणों को आरोपित धाराओं में उल्लेखित अधिकतम दण्ड से दण्डित किये जाने के तर्क प्रस्तुत किये गये। माननीय न्यायालय द्वारा अपने निर्णय मे इस बात को स्पष्ट किया है कि विधि को अपराधिकरण की ओर से मिलने वाली चुनौतियो का सामना करना चाहिए डगमगाती दुर्बलता को घेरने वाले मत्तप्रायः भावनाएं छिपी नही रह सकती अथवा सुधारवादी भावनाएं किसी युक्तियुक्त दण्डादेश प्रणाली के किसी काम नही आ सकती गलत धारणाओ पर टिके हुये उदारवादी दृष्टिकोण का समर्थन नही किया जा सकता। न्यायालय का यह कर्त्तव्य है कि वह हर मामले मे अपराध की प्रकृति और उस रीति का जिसमे अपराध किया गया हो ध्यान मे रखते हुये उचित दण्डादेश पारित करें, और इस प्रकार माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन घटना को प्रमाणित मानते हुए सभी अभियुक्तगण को दोषसिद्ध किया गया।
प्रकरण में सफल पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री गोविन्द प्रसाद घाटिया, अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक श्री विजय कुमार पारस तथा तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक एट्रोसिटी एक्ट नीरज सक्सैना के द्वारा की गई तथा प्रकरण में अंतिम तर्क डीपीओ श्री गोविन्द प्रसाद घाटिया के द्वारा प्रस्तुत किये गये।
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