कलेक्टर का आदेश :जिला हुआ पेयजल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित :पेयजल स्रोतों को लेकर ऐसी रहेगी व्यवस्था ।
जल अभावग्रस्त क्षेत्र में ऐसे जल स्रोत जो पेयजल उपलब्धता बनाए रखने हेतु अधिग्रहित किया जाना आवश्यक है, उनका अधिग्रहण किया जा सकेगा।

रतलाम 27 मार्च(प्रकाशभारत)। रतलाम जिले में विकास के नाम पर हो रही पेड़ो की आंधी कटाई और फोरलेन सड़क के सीमेंट कंक्रीट बनाने से लगातार भूजल का स्तर गिरता जा रहा है जो की बहुत ही चिंताजनक है। केवल रतलाम शहर में ही गोल्ड कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए करीब 700 पेड़ो के कटाई कर दी गई।इन हालातो से आने वाले वर्षो में रतलाम जिले के लोगो को पेयजल को लेकर विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी राजेश बाथम द्वारा ग्रीष्म ऋतु में पर्याप्त मात्रा में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत पेयजल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करके मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 संशोधन 2002 एवं संशोधन 2022 के अंतर्गत अधिनियम के समस्त उपबंध जिले के सभी विकास खंडो में लागू किए गए हैं।
जारी आदेश के अनुसार रतलाम जिले के अतिदोहित विकासखंड आलोट, जावरा, पिपलोदा, रतलाम में पूर्व से लागू आदेश को यथावत रखते हुए आगामी आदेश तक तथा विकासखंड सैलाना तथा बाजना को आगामी 30 जून या पर्याप्त वर्षा होने तक पेयजल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करते हुए अधिनियम के उपबंध लागू किए गए हैं। अतः अतिदोहित विकासखंड आलोट, जावरा, पिपलोदा, रतलाम, सैलाना तथा बाजना में जल स्रोत जैसे नदी, बांध, नहर, जलधारा, झरना, झील, सोता, जलाशय, बंधान या कुओं से सिंचाई, औद्योगिक उपयोग तथा अन्य प्रयोजन के लिए किन्ही साधनों द्वारा जल लेना प्रतिबंधित किया गया है।
जल अभावग्रस्त क्षेत्र में ऐसे जल स्रोत जो पेयजल उपलब्धता बनाए रखने हेतु अधिग्रहित किया जाना आवश्यक है, उनका अधिग्रहण किया जा सकेगा।
जल अभावग्रस्त क्षेत्र में प्राधिकृत अधिकारी की अनुमति के बिना किसी भी प्रयोजन के लिए नलकूप या बोरवेल खनन प्रतिबंधित किया गया है। पेयजल तथा घरेलू उपयोग के लिए नलकूप खनन की अनुमति देने के लिए संबंधित क्षेत्र के राजस्व विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एवं दंडाधिकारी को प्राधिकृत किया गया है। आदेश का उल्लंघन करने पर कारावास या अर्थदंड या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
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