मंडल कार्यालय के टिकट वाले विभाग में यह क्या हो रहा है पार्ट - 2 : विजिलेंस वाले भैया और टिंगू जी के गठबंधन में जान बाकी सब परेशान
इसी विभाग में कुछ दिनों पहले कुछ स्थानांतरण हुए अगर उन स्थानांतरण को देखा जाए तो उन भोले भाले लोगों को दूर फेंक दिया जिनका कोई आका मौला नहीं, लेकिन जिनके आका मौला है और समय-समय पर सेवा कर रहे हैं ऐसे लोगों को रतलाम के रतलाम में ही कितने सालों से चेकिंग में कागजों पर स्थानांतरण कर दिया

रेलवे की खरी खरी
रतलाम (प्रकाशभारत न्यूज) जैसा कि पहले पार्ट में बताया था की किस तरह विजिलेंस से आए भैया और काले कोर्ट की ड्यूटी लगाने वाले टिंगू जी से उनके विभाग के कर्मचारी ही परेशान है अभी पिछले कुछ दिनों से दोनों ही पारिवारिक परेशानियों से ग्रस्त है लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि उनके विभाग के वह लोग जिनको यह परेशान करते हैं उनका भी घर परिवार परेशान होता है विजिलेंस से आए भैया के तो चर्चे एक से एक है बड़ौदा में तो इन महाशय के खिलाफ एक महिला ने शोषण करने का भी आरोप लगा दिया और आशिक आवारा भैया भटकते रहे ऐसा ही नहीं है भैया आशिक आवारा जी विजिलेंस में जाने से पहले इसी विभाग में पहले पदस्थ थे तब भी भैया के बड़े-बड़े 'सपने' थे और आखिरकार भैया ने विजिलेंस में जाने के बाद अपने ही अधीनस्थ कर्मचारी का केस बनाकर 'सपना' पूरा किया अब ऐसे व्यक्ति को इस तरह का कार्य सोपना कहां की समझदारी है जिसमें इस विभाग की प्रमुख एक महिला ही है जिन्हें की ऐसे व्यक्ति के चरित्र के बारे में समझना ही चाहिए हालांकि टिंगू जी भी कम नहीं है टिंगू जी अपने विभाग वालों का कॉल अटेंड करे ना करे अगर कोयल की आवाज में किसी का कॉल आए तो टिंगू जी का भी मोबाइल 1 घंटे तक व्यस्त आता है
''बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह वाला काम है'' हालांकि अभी विगत कुछ दिनों से दोनों के अवकाश पर होने से बहुत कुछ आराम है पर आराम कितने दिनों का यह अभी पता नहीं , पर इस विभाग को लेकर कई बार भाजपा के रेलवे से जुड़े फिलहाल में इस विभाग के अंतर्गत कामों में 'सोए हुए एक नेताजी' ट्वीट कर चुके हैं लेकिन विभाग कुछ जवाब देने को और कार्रवाई करने को तैयार नहीं और उधर नेताजी से जब संपर्क करना चाहा तो यह कह कर कॉल कट कर दिया कि **समय आने पर बात करेंगे** ऐसा लगता है कि इस विभाग की प्रमुख अधिकारी ने सोच लिया
हम हैं अपनी मस्ती में ओर आग लगे बस्ती में
प्रियोडिकल ट्रांसफर में जिसकी पहचान उसको मजा बाकी को सजा।
इसी विभाग में कुछ दिनों पहले कुछ स्थानांतरण हुए अगर उन स्थानांतरण को देखा जाए तो उन भोले भाले लोगों को दूर फेंक दिया जिनका कोई आका मौला नहीं, लेकिन जिनके आका मौला है और समय-समय पर सेवा कर रहे हैं ऐसे लोगों को रतलाम के रतलाम में ही कितने सालों से चेकिंग में कागजों पर स्थानांतरण कर दिया हालांकि ऐसे दो विशेष लोग है जिन पर विशेष मेहरबानी अधिकारियों की हो रही है यही नहीं कुछ अच्छे स्टाफ को तो पैरोडीकल के नाम पर स्टेशन ड्यूटी दे दी कुछ को तो घर से इतना दूर कर दिया कि ड्यूटी के कारण आने जाने में एक हफ्ते से ज्यादा लग जाए। जो कार्य विजलेंस से आए भैया आशिक आवारा जी करते है वह कार्य पहले एक कर्मचारी ऐसा भी था जिसके पैर जमीन पर रहते थे और सबसे मिलकर वह व्यक्ति रहता था उस कर्मचारी का भी केस विजिलेंस से आए भैया आशिक आवारा जी ने ही बनवाकर दूर कराया और उन सब बातों की खबर भी वाया वाया मीडिया तक भेज देते थे तो इस तरह अपने ही अधीनस्थ कर्मचारियों के केस बनाकर भैया आशिक आवारा जी ने अपना प्यार भरा ''सपना '' पूरा किया और तो ओर टिंगू जी ने अपने अधीनस्थ कर्मचारी को ही झूठे केस में फ़सवाकर दुनिया को अलविदा करने पर मजबूर कर दिया।
आज विभाग के लोग कुछ पुराने अधिकारियों और उनके समय के बाबू को याद करते हैं जो समस्याओं को सुनते थे और उनका निदान करते थे।
आज के इस समय को देख कर इस विभाग के कर्मचारी तो यही कहते हैं
''जाने कहां गए वो दिन''
इस बार इस भाग में इतना ही अगले भाग में आपको बताएंगे अंगद के पैर की तरह विभाग में जमे हुए कर्मचारी और कंबल ओढ़कर घी पी रहे अधिकारियों का।
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