महालक्ष्मी मंदिर में सजावट का मामला : सजावट का आवेदन करने वाली संस्था संदेह के घेरे में। पुजारी से विवाद

गर्भगृह में चांदी की सजावट करने के लिए जिस संस्था ने प्रशासन से अनुमति ली थी, उसके पदाधिकारियों व पंजीयन, पते की कोई जानकारी नहीं है। इधर काम करने के लिए जो संस्था सामने आई है, उसका नाम व पंजीयन अलग है

Mar 16, 2024 - 14:38
Mar 16, 2024 - 14:40
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महालक्ष्मी मंदिर में सजावट का मामला :  सजावट का आवेदन करने वाली संस्था संदेह के घेरे में। पुजारी से विवाद

रतलाम (prakashbharat) पांच दिवसीय दीपोत्सव के दौरान लोगों द्वारा दिए जाने वाले जेवर, नगदी से की जाने वाली विशेष सजावट के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर में अब चांदी से होने वाली सजावट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। गर्भगृह में चांदी की सजावट करने के लिए जिस संस्था ने प्रशासन से अनुमति ली थी, उसके पदाधिकारियों व पंजीयन, पते की कोई जानकारी नहीं है। इधर काम करने के लिए जो संस्था सामने आई है, उसका नाम व पंजीयन अलग है। पुजारी के खिलाफ काम में रूकावट डालने की शिकायत के बाद यह जानकारी सामने आई है। इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है।

महालक्ष्मी मंदिर में गर्भगृह में चांदी, लगाने, लाइटिंग व छत का काम स्वयं के व्यय से कराने के लिए 10 जुलाई 2023 को श्री महालक्ष्मी मंदिर जीर्णोद्धार समिति के नाम से कलेक्टर को आवेदन दिया गया था। आवेदन पर किसी पदाधिकारी का नाम या संस्था का पंजीयन नंबर नहीं है। सदस्यों के नाम से कुछ अस्पष्ट हस्ताक्षर किए गए हैं। इस आवेदन पर शहर तहसीलदार ने एक दिन बाद ही तय शर्तों पर 11 जुलाई 2023 को अनुमति दे दी। अनुमति मिलने के आठ महीने बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया।

इधर 12 मार्च को अध्यक्ष रत्नपुरी माणकचौक जनकल्याण समिति (रजि.) की ओर से तहसीलदार को शिकायत कर बताया गया कि मंदिर में संजय पुजारी द्वारा काम नहीं करने दिया जा रहा है। इस शिकायत पर तहसीलदार ने पुजारी को नोटिस जारी कर दो दिन में जवाब मांगा। गुरुवार को पुजारी की ओर से जवाब प्रस्तुत कर शिकायत को निराधार बताया है।

माणकचौक मंदिर शासकीय है। पुजारी व संस्था के विवाद से हटकर यहां किसी भी निजी संस्था को अनुमति देने से पहले पदाधिकारियों व संस्था के रिकार्ड को जांचा जाना चाहिए था। आठ महीने में इस संबंध में कोई निरीक्षण नहीं किया गया। संस्था द्वारा जीर्णोद्धार के लिए चंदा किया जा रहा है या स्वयं के पास जमा राशि से ही काम कराया जाएगा, इसे लेकर भी ध्यान नहीं दिया गया। चूंकि अनुमति लेने वाली संस्था अलग है, और काम करने पहुंची संस्था अलग। जीर्णोद्धार के नाम से श्रृद्धालु भी अगर कोई सामग्री देते हैं तो इसका रिकार्ड किसके पास रहेगा, अनुमति में इसका भी ध्यान नहीं रखा गया

अनुमति में पुजारी का हवाला, आवेदन में नाम भी नहीं

जीर्णोद्धार के लिए महालक्ष्मी मंदिर समिति के नाम से जो आवेदन दिया गया है, उसमें मंदिर के पुजारी का नाम या हस्ताक्षर नहीं है। जबकि अनुमति में पुजारी व समिति सदस्यों का हवाला है। ऐसे में समिति सदस्य के नाम व समिति का पता नहीं होने से किसी विषम स्थिति में जिम्मेदारी भी तय नहीं हो पाया।

महालक्ष्मी मंदिर में चांदी लगाने व अन्य कार्य के लिए तय शर्तों पर अनुमति दी गई है। अनुमति लेने वाली संस्था का पंजीयन नहीं होने व काम करने के लिए दूसरी संस्था के आने, शिकायत करने के संबंध में फाइल देखकर कार्रवाई करेंगे।

ऋषभ ठाकुर, तहसीलदार रतलाम शहर

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Sujeet Upadhyay Sujeet Upadhyay is a senior journalist who have been working for around Three decades now. He has worked in More than half dozen recognized and celebrated News Papers in Madhya Pradesh. His Father Late shri Prakash Upadhyay was one of the pioneer's in the field of journalism especially in Malwanchal and MP.