नगर निगम की मनमानी: लाखों रुपए भी हो रहे बर्बाद, ज्यादा काट रहे हैं कुत्ते
अधिकारियों और नेताओं के कहने पर ही जा रही गाड़ी

प्रकाशभारत
- एबीसी कार्यक्रम के नाम पर बड़े लोगों के दबाव में नियमों को तांक पर रख हो रहा केवल खुश करने का काम
रतलाम। कुत्तों के काटने और भौंककर पीछे पकड़ने की शिकायतें बढ रही है। नगर निगम इसमें अपनी गलती से पल्ला ााड़ रही है, जबकि हकीकत यह है कि अधिकारियों और नेताओं की मनमानी से न केवल लाखों रुपए बर्बाद हो रहे हैं, बल्कि कुत्तों के काटने के समस्या बढने के पीछे भी यह बड़ा कारण है।
सर्वोच्च न्यायालय और एनिमल वेलफेयर बोर्ड आॅफ इंडिया के निर्देश हैं कि नगर निगम को अनिवार्य रूप से श्वानों का बधियाकरण कार्यक्रम तय शर्तों के तहत किया जाना चाहिए। इसके तहत नगर निगम ने 2020-21 में संतुलन जीव कल्याण एनजीओ को 5 हजार कुत्तों के बधियाकरण के लिए 50 लाख का टेंडर जारी किया था। तब भी जमकर अव्यवस्था हुई, यहां तक कि निगम ने भी इसे माना और दूसरी बार नई संस्था को टेंडर दिया गया। 2022-23 में 4 हजार श्वानों के लिए 36 लाख में टेंडर हुआ। तीसरी बार 2024 जनवरी से तीसरी बार भी करीब 4 हजार कुत्तों के बधियाकरण के लिए इतनी ही कीमत का टेंडर फिर दिया गया है। निगम के पास न तो कोई गणना है, न ही कोई ठोस जानकारी। ऐसे में कागजों पर लगभग 10 हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी होने के बाद भी कहीं कोई असर नहीं दिख रहा है।
एक भी निर्णय का आज तक नहीं हुआ पालन
एबीसी के नियमों में मॉनीटरिंग कमेटी बनाना अनिवार्य है। नगर निगम द्वारा बनाई गई कमेटी के साथ नए वर्क आॅर्डर जारी होने के पहले बैठक में निर्णय लिए गए थे। तय हुआ था कि शहर में क्षेत्रवार ही कुत्तों को पकड़ा जाएगा ताकि राहत दिखाई दे। कुत्ते यहां से वहां होकर न काटे इसके लिए कॉलर लगाए जाएंगे। आज तक न तो कॉलर आ पाई है और न ही एबीसी के एक भी नियम का पालन हो रहा है। कुछ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मनमानी के कारण लाखों रुपए बर्बाद हो रहे हैं।
अधिकारियों और नेताओं के कहने पर ही जा रही गाड़ी
एबीसी नियमों के तहत शहर में क्षेत्रवार सुबह और देर शाम को कुत्तों को पकड़ा जाना है ताकि ट्रैफिक में दिक्कत न हो। दोपहर में श्वानों की जांच के बाद ही सर्जरी होती है। एंटीबॉयोटिक, एंटी रैबीज आदि के बाद श्वानों को 4 से 5 पांच दिन बाद वापस उसी स्थान पर छोड़ा जाता है। लेकिन शहर में जनवरी से अब तक इस कार्यक्रम में एक दिन भी किसी भी क्षेत्र से श्वानों की कैचिंग नहीं की गई है। सीएम हेल्पलाइन के जवाबों में भी सही जानकारी नहीं दी जा रही। लगभग 35 दिनों से लाखों रुपए का टेंडर देकर बुलवाई गई टीम और गाड़ी को केवल सीएम हेल्पलाइन की गिनती की शिकायतों का निराकरण करवाने और नेताओं के कहने पर उस क्षेत्र में भेजकर इतिश्री की जा रही है।
50 की जगह पकड़े जा रहे 10 कुत्ते
पशु चिकित्सा विभाग की गणनानुसार शहर में करीब 25 हजार कुत्ते हैं। नए कार्यक्रम में एक भी दिन सिवाय तथाकथित शिकायतों के अलावा एक भी स्थान से प्रापर कैचिंग नहीं हुई है। एक दिन में अमूमन एक क्षेत्र से 40 से 50 तक श्वान पकड़े जाते थे और सर्जरी हो रही थी। इस रफ्तार से 365 दिन सर्जरी होने पर भी 18 हजार कुत्तों की ही एक साल में नसबंदी हो सकती है। लेकिन छुट्टी और अन्य समस्याओं के अलावा 10-10 कुत्तों की नसबंदी की रफ्तार से कार्यक्रम सालों तक जारी रहेगा। क्योंकि छूटी हुईं मादा श्वान हर साल 10 से 12 बच्चे पैदा कर सकती हैं।
लापरवाही बढ़ा रही काटने की समस्या
फिलहाल सीएम हेल्पलाइन और नेताओं के कहने पर जोन प्रभारी और निगम के अधिकारी दिन भर में अलग-अलग मोहल्लों और जोनों से कुत्ते पकड़ा रही है, वो भी दोपहर में ट्रैफिक के बीच। ऐसे में आए दिन कुत्ते भागने के दौरान काट रहे हैं। अलग-अलग इलाकों से एक जैसे रंग के कुत्ते पकड़े जाने के कारण समय भी बहुत बर्बाद हो रहा है। टैगिंग और रजिस्टर में सही एंट्री नहीं होने से छोड़ते समय कुत्तों को यहां से वहां छोड़ा जा रहा है। कुत्ते नई जगह जाने पर वहां के पुराने कुत्ते पूरे समय लड़ने के कारण आक्रामक हो रहे हैं और इंसानों को काट रहे हैं। मामले में निगम आयुक्त ओपीएस गहरवार से लेकर निगम के स्वास्थ अधिकारी एपी सिंह तक का कहना है कि सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें अधिक होने से बीच बीच में यह काम किया जा रहा है।
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