मामला सिविक सेंटर के प्लाटों की पुरानी दरों पर रजिस्ट्री कराने का : नगर निगम ने सिविक सेंटर ही नही बल्कि विकास शाखा की अलग-अलग योजनाओं में करीब 1500 प्लाट नियम विपरीत बेच दिए

नगर निगम ने खुद मांगी थी सिविक सेंटर सहित नौ योजनाओं के प्लाट घाटे में बेचने की अनुमति – वर्ष 2008 में कैबिनेट में निर्णय के बाद राज्य शासन ने नियम शिथिल किए थे

Jun 1, 2024 - 22:19
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मामला सिविक सेंटर के प्लाटों की पुरानी दरों पर रजिस्ट्री कराने का : नगर निगम ने सिविक सेंटर ही नही बल्कि विकास शाखा  की अलग-अलग योजनाओं में करीब 1500 प्लाट नियम विपरीत बेच दिए

रतलाम (प्रकाशभारत) एक बार फिर सिविक सेंटर चर्चा में हैं। इस बार सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी चौकाने वाली हैं। सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी सामने आने के बाद अब सिविक सेंटर के 27 प्लाटों की रजिस्ट्री निरस्त कराने के निगम परिषद के निर्णय सहित अन्य कार्रवाई में भी निगम को पीछे हटना पड़ सकता है।

सिविक सेंटर के 27 प्लाटों की रजिस्ट्री 1996 की दरों पर होने के बाद मचे बवाल में अब नई जानकारी सामने आई हैं ।नगर निगम ने न केवल सिविक सेंटर बल्कि विकास शाखा (पूर्व का नगर सुधार न्यास) की अलग-अलग योजनाओं में करीब 1500 प्लाट नियम विपरीत बेच दिए गए थे। कम दरों पर बेचे जाने के बाद घाटा खाकर रजिस्ट्री कराने के लिए नगर निगम से ही वर्ष 2008 में शासन से नियमों को शिथिल कर आदेश देने की मांग की गई। निगम के पत्र पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में सितंबर 2008 में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे स्वीकृति दी गई थी। बगैर जानकारी के हंगामें व विवाद के बाद राज्य शासन के निर्णय को लेकर अब नगर निगम प्रशासन भी मशक्कत में जुटा हुआ है।

 मामले में अभी हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ है। अगली सुनवाई में निगम की ओर से दिए जाने वाले जवाब से प्रकरण की दिशा तय होगी।

दरअसल 1 अगस्त 1994 को नगर सुधार न्याय का विलय नगर निगम में कर दिया गया था। विलय के बाद न्यास के व्यावसायिक व आवासीय भूखंडों का विक्रय नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों, पदाधिकारियों द्वारा मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 80 के अंतर्गत बनाए गए नगर पालिक निगम (अचल संपत्ति का अंतरण) नियम 1994 के प्रावधान अनुसार घोष विक्रय व किराया पद्धति के आधार पर करना था, लेेकिन नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960 के नियमों के अनुसार पहले आओ-पहले पाओ पद्धति पर पूर्णतया विक्रित मूल्य व लीज पर संपत्तियां बेच दी गई और कुछ की रजिस्ट्री भी करा दी गई। नियम विपरीत संपत्ति बेचे जाने के बाद विसंगति के चलते प्लाटों की रजिस्ट्रियां रूक गई। इससे विवाद की स्थिति बनी तो 21 जुलाई 2008 को तत्कालीन आयुक्त द्वारा नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख नगर सुधार न्यास की आवंटित संपत्तियों की रजिस्ट्री कराने व शेष संपत्तियों के आवंटन की स्वीकृति मांगी गई।

विधि और वित्त विभाग से भी ली राय

निगम के पत्र के बाद इस मामले को कैबिनेट में रखने से पहले विधि विभाग, वित्त विभाग की राय भी ली गई। इसमें विधि विभाग ने उल्लेख किया कि नियमों के अंतर से घोष विक्रय के अभाव में यदि संपत्ति का उचित मूल्य नर पालिक निगम को नहीं मिल सका है तो जबकि वह घाटा सहन करने को तैयार है तो उसे ऐसी अनुमति दी जा सकती है। क्योंकि नियमों में परिवर्तन का अधिकार राज्य शासन को है। इसके बाद 30 सितंबर 2008 को हुई कैबिनेट की बैठक के आयटम नंबर 21 पर इसे स्वीकृति देकर निर्णय लिया गया कि नगर सुधार न्यास रतलाम द्वारा पूर्व में निर्मित संपत्ति के विक्रय की कार्योत्तर स्वीकृति नगर निगम को दी जाए। विक्रय योग्य शेष संपत्ति को नगर निगम रतलाम द्वारा मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में वर्णित प्रावधान अनुसार विक्रय की अनुमति इस शर्तों पर दी जाती है कि विक्रय से प्राप्त राशि केवल हुड़कों से लिए गए ऋण को चुकाने में व्यय की जाएगी। संपत्ति के मूल्य में हुई कमी की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा नहीं की जाएगी। इस निर्णय के बाद 31 अक्टूबर 2008 को नगरीय प्रशासन विभाग के तत्कालीन उप सचिव एसके उपाध्याय ने नगर निगम आयुक्त रतलाम को राज्य शासन द्वारा दी गई अनुमति का आदेश जारी किया।

लगातार होती रही रजिस्ट्री

राज्य शासन के आदेश के बाद विकास शाखा की नौ योजनाओं में प्लाटों की रजिस्ट्री लगातार होती रही और इस दौरान महापौर परिषद, निगम परिषद से इसकी कोई अनुमति या जानकारी भी नहीं दी गई। इसकी वजह यह रही कि राज्य शासन के निर्णय के बाद स्थानीय स्तर पर अनुमति लेना जरूरी नहीं हो जाता।

इन योजनाओं के प्लाटों की रजिस्ट्री के लिए मांगी थी अनुमति

राजीव गांधी सिविक सेंटर-36 भूखंड, 132 भवन

पंडित प्रेमनाथ डोंगरे नगर-558 भवन व 56 भूखंड

मुखर्जी नगर -133 भवन व 2 भूखंड

देवरा देवनारायण नगर-18 भवन व 5 भूखंड

इंद्रानगर पूर्व-6 भूखंड

कस्तूरबा नगर-4 भूखंड

कलीमी कालोनी-01 भूखंड

अर्जुन नगर- 19 भवन

अमृत सागर-32 भवन

अब आगे निगम की राह में यह पेंच फंसेगा

सात मार्च 2024 को नगर निगम के साधारण सम्मेलन में पुरानी दर पर रजिस्ट्री कराने का हवाला देकर सिविक सेंटर की 27 प्लाटों की रजिस्ट्री निरस्त कराने का निर्णय परिषद ने पारित किया था। इसके पालन को लेकर कलेक्टर को भी पत्र दिया गया। अब राज्य शासन का विस्तृत आदेश सामने आने के बाद निगम प्रशासन को कानूनी पहलू को लेकर मशक्कत करना पड़ सकती है। एक संभावना यह भी है कि मामला फिर से निगम परिषद में भेजा जाए और वहां इस पर नए सिरे से विचार हो।

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Sujeet Upadhyay Sujeet Upadhyay is a senior journalist who have been working for around Three decades now. He has worked in More than half dozen recognized and celebrated News Papers in Madhya Pradesh. His Father Late shri Prakash Upadhyay was one of the pioneer's in the field of journalism especially in Malwanchal and MP.